शहर के छब्बीस हजार बच्चों का सरकारी निवाला विभागीय उदासीनता के चलते बैंकिग प्रणाली की पाइप लाइन में फंसा
डीपीओ की रहस्यमय चुप्पी से केंद्रों की महिला वर्करों में भारी रोष
एटा जिस महत्त्वाकांक्षी योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम जन्म भूमि एवं लखनऊ से जोरदार शुरुआत की वह योजना विभागीय लालफीता शाही के चलते दम तोड रही है एटा जिले में ग्रामीण शहरी क्षेत्र के तीन से छह वर्ष के बच्चो को पका हुआ गर्म भोजन चयनित केंद्रों पर दिया जाना था जिसकी महज खाना पूर्ति की गई है। इस मामले में जिला मुख्यालय की नाक के नीचे चलने बाली एटा अर्बन परियोजना में इस स्कीम के बजट निर्गमान में बड़ा घोटाले परक झोल सामने आया है। बताया गया मुख्य मंत्री की देखरेख में चलने बाली उक्त स्कीम के बजट की दूसरी किश्त शहर के पैंसठ चुने हुए केंद्रों के खातों में हो नही पहुंची। जबकि उक्त किश्त का ट्रांजेक्शन मार्च माह में विभाग द्वारा बताया गया हैं। ढाई महीने के अंतराल में भी उक्त धनराशि का खातों में न पहुंचना हैरत में डालता है। बताते है उक्त मामले की जानकारी आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ ने जब लिखित रूप डीपीओ को दी उसके बाद भी कोई पहल नही की गई परिणाम स्वरूप शहर लगभग छब्बीस हजार तीन से छः वर्ष के बच्चे मुख्य मंत्री के पौष्टिक गर्म भोजन की उपलब्धता से वंचित रह गए।
इतनी बड़ी त्रुटि पर डीपीओ की चुप्पी तरह तरह की अटकलों को जन्म दे रही है। विभाग में खुलेआम स्वीकार किया जा रहा है सीएम की यह स्कीम कुछ तुम डकार जाओ कुछ हम डकार जाएं की कहावत चरितार्थ कर रही है। जानकारों द्वारा बताया जा रहा योजना के शुरुआती चरण में पहली किश्त एटा को पांच लाख से अधिक मिली थी उस हिसाब से दूसरों किश्त मिलनी चाहिए पर परंतु ढाई माह में भी केंद्रों तक नहीं आ सकी है जबकि इ ट्रांजेस्कन के युग में इतना वक्त लगना चौका रहा है विभाग की परिपाटी से परचित जानकर कहते हैं हर छोटे बड़े बजट पर विभागीय अफसरों की नजर रहती है वह अपनी हिस्सेदारी के अवसर बना लेते हैं।
हाट कुक्ड योजना के तहत लाखों के इस बजट में सिस्टम की लेट लतीफी विभाग की परिपाटी का हिस्सा है ताकि निचले स्तर तक इस छोटे बजट में नोच खसोट की जा सके। जिला अधिकारी को मुख्य मंत्री की निगरानी में चल रही योजना में चल रहे घालमेल को देख परख कर जवाबदेही तय करनी चाहिए।
संवाददाता वैभव वार्ष्णेय