डेरा सिरसा मुखी राम रहीम को आज पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रणजीत सिंह हत्याकांड में बरी कर दिया। साध्वी यौन शोषण मामले को सामने वाली एक चिट्ठी की वजह से कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह को मौत के घाट उतार दिया गया था।
साल 2002 में एक गुमनाम चिट्ठी से सिरसा डेरा का साम्राज्य हिला दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी इस चिट्ठी में एक साध्वी के यौन शोषण की बात सामने आई थी।
यही वो चिट्ठी थी जिसके बाद डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया वहीं इसी के कारण डेरा के प्रबंधक रहे रणजीत सिंह को गोलियों से भून दिया गया था। सीबीआई की जांच में चिट्ठी में लिखे आरोप सही मिले। मामला अदालत पहुंचा और यौन शोषण मामले में राम रहीम जेल गए। आज हाई कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया।
दो की गई जान
इस चिट्ठी से खून भी बहा। इस चिट्ठी को अपने अखबार में छापने वाले पत्रकार की हत्या कर दी गई थी। डेरा को शक था कि चिट्ठी रणजीत सिंह ने अपनी बहन से लिखवाई है तो उसकी भी हत्या हो गई।
सिर्फ शक में की थी रणजीत सिंह हत्या
10 जुलाई 2002 को डेरे की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राम रहीम डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख है। वहीं रणजीत सिंह इसी डेरे की प्रबंधन समिति का सदस्य था। डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी। इसी शक की वजह से रणजीत सिंह की हत्या की गई थी।
पत्रकार की भी ली थी जान
इस गुमनाम चिट्ठी को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने सांध्य कालीन समाचार पत्र ‘पूरा सच’में छापा। जिसकी वजह से 24 अक्तूबर 2002 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर हमला कर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया था। 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र की मौत हो गई थी। छत्रपति हत्याकांड में भी राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है। राम रहीम साध्वी यौन शोषण मामले में 20 साल और पत्रकार छत्रपति हत्याकांड में उम्रकैद की सजा रोहतक की सुनारिया जेल में काट रहा है।