फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि बातचीत किए जाने के उनके बयान को लेकर भले ही उन्हें पाकिस्तानी, खालिस्तानी और अमेरिकी एजेंट करार दिया जाए, लेकिन वह भारत और पाकिस्तान के दो पड़ोसी देशों के बीच बातचीत की वकालत करना बंद नहीं करेंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि लोचना झेलने के बावजूद वह इस बात पर जोर देते रहेंगे कि जम्मू कश्मीर में शांति के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लोकसभा के नतीजे घोषित होने के बाद केंद्र में सत्ताधारी सरकार बदलेगी और नई सरकार पाकिस्तान के साथ बातचीत का रास्ता अपनाएगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान में उनके साथ बातचीत करने के लिए अनुकूल माहौल है, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब मैं (भारत और पाकिस्तान के बीच) बातचीत की बात करता हूं, तो वे मुझे पाकिस्तानी खालिस्तानी और अमेरिकी एजेंट कहते हैं। लेकिन मैं अपनी आवाज बंद नहीं करूंगा। मैं दुआ करता हूं कि दिल्ली में इंडिया गठबंधन की नई सरकार बने, फिर हम उन्हें (भाजपा) यह भी बताने की कोशिश करेंगे कि बातचीत ही एकमात्र रास्ता है।’
उन्होंने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर तब तक ठीक नहीं होगा जब तक ये दोनों बड़े देश यह नहीं समझ लेते कि युद्ध अब आगे का रास्ता नहीं है।’ पिछले हफ्ते की शुरुआत में, शोपियां और अनंतनाग में गोलीबारी की घटनाओं के मद्देनजर, फारूक अब्दुल्ला ने हत्याओं की अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी।
उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘मैंने कहा था कि जब तक आतंकवाद बंद नहीं हो जाता, तब तक हमारे पड़ोसी देश (पाकिस्तान) के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। हमें उनसे सहयोग की आवश्यकता है। हमें उस व्यक्ति की पहचान करने की आवश्यकता है जो यहां आकर निर्दोष लोगों की हत्या कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जाना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों को मामले की जांच करनी चाहिए।’
इसके अलावा फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव कराने की मांग दोहराई। वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब यहां संसदीय चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हो सकते हैं, तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं हो सकते? मुझे लगता है कि इस साल अमरनाथ यात्रा समाप्त होने के बाद विधानसभा चुनाव होंगे।”
भाजपा पर निशाना साधते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख ने आरोप लगाया कि वे संविधान बदलने का इरादा रखते हैं। अब्दुल्ला ने कहा, “मुझे यह कहते हुए खेद है कि वे (भाजपा) चुनाव आयोग के मालिक हैं। उनके पास पूरा प्रशासन है। वे दावा करते हैं कि वे संविधान नहीं बदलेंगे, लेकिन वे एक बात कहते हैं और दूसरी बात करते हैं। वे संविधान बदलने का इरादा रखते हैं।”
इंडिया ब्लॉक पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई कुर्सी के लिए नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल लोगों के मुद्दों पर काम करने के लिए करना है। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि लोग समझेंगे कि हमारा मकसद क्या है और हम क्यों लड़ रहे हैं। हमारी लड़ाई कुर्सी के लिए नहीं है, बल्कि उस कुर्सी का इस्तेमाल गरीबी मिटाने और महंगाई और बेरोजगारी पर काम करने के लिए है।’
इससे पहले 6 मई को फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई थी कि भारत और पाकिस्तान दोनों सरकारें बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए ऐसा माहौल बनाएंगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हमेशा कहा है कि (भारत और पाकिस्तान के बीच) सभी मामले बातचीत के जरिए हल किए जाएंगे।’