ये बिहार है भाई,यहां दिन दहाड़े गोलियां चलनी,हत्या,लूट,अपहरण,बलात्कार आम बात है, सरे राह लड़कियों की इज्जत पर बीच बाजार में, दिन के उजाले में हाथ डाला जाता है। उसे जबरन उठाकर उसके साथ हैवानियत की घटना को अंजाम देने की कोसिस होती है। उसके सीने पर वार किया जाता है। उसके कपड़े फाड़ दिए जाते हैं। गाली गलौज होता है। फिर भी सुशासन का राज है। नीतीश कुमार का शासन है। सॉरी एनडीए का राज है। भाजपा इसमें बड़ी भूमिका में है। ये वही भाजपा है जो अभी अंग्रेजों की बनाई हुई कानून व्यवस्था को हटाकर मजबूत कानून व्यवस्था लेकर आई है। इस पर भी बात करेंगे लेकिन उससे पहले आपको जरा बताते हैं कि आखिर मामला क्या है?
दरअसल दिन था, गुरुवार,तारीख 4 जुलाई 2024, शाम के तकरीबन साढ़े 6 बजे थे। एक लड़की उम्र-22 वर्ष, बिहार के सुपौल जिले के निर्मली बाजार में अपने घर के लिए सामान लाने जाती है तभी पहले से घात लगाए मिथुन महाजन नाम का एक लड़का पहले तो पीड़िता के साथ गाली ग्लौज करता है और फिर जबरन उसके बाल पकड़ कर घसीटते हुए वो अपने घर ले जाकर उसके साथ छेड़कानी और गलत हरकत करने लगता है। इतना ही नहीं लड़की के सीने पर भी अपने मुक्का से प्रहार करता है। इस दौरान वो पीड़िता का कपड़ा भी फाड़ देता है। साथ ही उसके सोने की गले का चेन भी छिन लेता है। अब ये पहली घटना नहीं है इससे पहले भी मिथुन महाजन गाली ग्लौज व जान से मारने की धमकी एवं अन्य शर्मनाक हरकत कर चुका है।और पहले भी निर्मली थाने में बार-बार शिकायत दी गयी थी पर बार-बार निर्मली थाना के द्वारा उसे समझा बुझा कर मामला रफादफा कर दिया गया। ये तो रही घटना की सपाट जानकारी।
अब इसके बाद बारी आती है बिहार पुलिस यानी सुपौल पुलिस के निर्मली थाने की गैर जिम्मेदाराना या बेहुदकी या एक तरफा कार्रवाई की।
इस पूरे मामले में आरोपी पर नर्मली थाना ने जो धारा लगाई है वो बेहद ही हल्की व पक्षपातपूर्ण दिखती है। अब ऐसा थाने ने किसके दबाव में आकर किया ये तो जांच का विषय है। क्योंकि जो लिखित आवेदन पीड़िता ने थाने में दर्ज किया है वो बेहद ही गंभीर है। और मजे की बात ये भी है कि इस घटना के दौरान मौके पर पुलिस की टीम 112 भी पहुंचती है। आवेदन में गवाह भी हैं। लेकिन आरोपी को देर रात थाने से ही जमानत दे दी जाती है। वो इसलिए क्योंकि जो धारा आरोपी पर लगाई गई है वो साधारण है। जबकि उसकी हरकत थाने से तो जमानती धारा के अंतर्गत नहीं ही आती है। अब धारा देख लीजिए 126,115, 74, 76, 303,352, 351,
पुलिस की लापरवाही कहें या किसी का दबाव या फिर पैसे की खनक। जांच का विषय है।
एक बात समझ से परे है कि जब पीड़िता अपने लिखित आवेदन में कह रही है कि इसके साथ मारपीट की गई है इसके इज्जत पर हाथ डाला गया है तो फिर पुलिस ने क्यों नहीं उसकी मेडिकल जांच करवाई गई पुलिस ने मौके ने CCTV फुटेज की जांच क्यों नहीं करवाई। क्या कोई आईओ मारपीट की गंभीरता को बिना पता लगाए किसी को जमानत दे सकता है। वो भी तब जब सबकुछ आइने की तरह साफ है।
अब आते हैं एक जुलाई से तीन आपराधिक क़ानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता पर जो अब पूरे भारत में लागू हो गया है। जिसमें स्पष्ट लिखा है कि इस तरह के गंभीर मामले में वो जब अपराध किसी महिला के साथ हुआ हो उसमें उपरी तौर पर थाने से आरोपी को बिना जांच किए छोड़ा नहीं जा सकता है।
दरअसल आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और समान्नीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी ये घटना स्थल बिहार में पड़ता है जहां आप पिछले 12 साल से अलटी-पलटी मारते हुए तथाकथीत सुशासन बाबू या आपकी भाषा में ही कहें तो पलटुराम श्रीमान नीतीश कुमार जी से मिलकर सत्ता की मलाई चाभ रहे हैं। बिहार और बिहार की जनता जाए भांड़ में। आप मुझे ये बताई की क्या यह भी मणीपुर की तरह आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। क्या आप चाहते हैं कि यहां की बेटी-बहनों को भी बीच बाजार नंग्गा करके परेड करवा जाए। आप और आपकी सरकार व सुपौल पुलिस या यो कहें बिहार पुलिस की ये अक्ष्मय अपराध तो इसी ओर इशारा कर रहा है। दरअसल एक तो पीड़िता के साथ आरोपी अपराध करता ही है दूसरा जो कानूनी बलात्कार आपकी पुलिस करती है वो तो गंभीर धारा के तहत आता है। अब ऐसा नहीं है कि ये निर्मली में एक लड़की के साथ हो रहा है इस तरह की घटना हर दिन बिहार के कोने कोने में घट रही है। क्योंकि निर्मली की इस घटना ने तो साबित कर दिया है कि अपराध पुलिसपोष्ति हो रहे हैं। ये बात 13 करोड़ किसी भी बिहारी से पुछ लीजिए वो यही बोलेगा। जागिए नीतीश बाबू और पीएम मोदी साहब और इस तरह के पुलिसकर्मियों पर सक्त से सख्त कार्रवाई कर एक नजीर पेश कीजिए वरणा यहां हर दिन बहन बेटियां लूटती रहेगी।