अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेली भाषा का इतिहास हिंदी से भी पुराना है। इन्हीं शब्दों से बाद में हिंदी का विकास हुआ है। यह भाषाएं क्षेत्रीय स्तर पर बोली जाती है। अब हिंदी और अंग्रेजी का चलन बढ़ा है तो क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर हो रहे हैं।
अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेली भाषा के 76,000 शब्दों का संग्रह करके पहली बार शब्दकोश तैयार किया गया है। इन भाषाओं के विलुप्तप्राय शब्दों को सहेजने के लिए राज्य शिक्षा संस्थान ने इसकी पहल की है। चारों भाषाओं के अलग-अलग कोश की प्राथमिक प्रतियां छप चुकी हैं। वृहद रूप में प्रकाशन के लिए संस्थान ने सरकार से बजट मांगा है। फिर, इन्हें प्राइमरी स्कूलों में भेजा जाएगा, ताकि शिक्षक बच्चों का शब्द ज्ञान भी बढ़ा सकें।
अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेली भाषा का इतिहास हिंदी से भी पुराना है। इन्हीं शब्दों से बाद में हिंदी का विकास हुआ है। यह भाषाएं क्षेत्रीय स्तर पर बोली जाती है। अब हिंदी और अंग्रेजी का चलन बढ़ा है तो क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर हो रहे हैं। अवधी में बोले जाने वाले ईनार, चकिया, छोकड़ा, जंगरा, झउआ, बदा, लढ़िया, लबार, लरिकाई, सुजनी, हारे-खाड़े, भोजपुरी के एहर, गुजारल, चऊफेर, चक, दोएम आदि शब्द कम ही प्रयोग में आते हैं।
सबसे ज्यादा शब्द ब्रजभाषा के
इन शब्दों को संजोए रखने के लिए स्कूल शिक्षा के तत्कालीन महानिदेशक विजय किरण आनंद के निर्देश पर राज्य शिक्षा संस्थान ने शब्द संकलन की प्रक्रिया पिछले वर्ष शुरू की थी। प्रदेशभर से चारों भाषाओं के शब्द संकलन के लिए 12 विशेषज्ञों की टीम बनाई गई। कई महीने की मशक्कत के बाद अब इसे तैयार कर लिया गया है। इसकी चार किताबें बनाई गई हैं। इसमें अवधी के 17 हजार, भोजपुरी के 19 हजार, ब्रज के 22 हजार और बुंदेली के 18 हजार शब्द हैं।
पहले चरण में 34,000 विद्यालयों को देंगे
शब्दकोश की छपाई के लिए अभी बजट मांगा गया है। अधिकारियों के मुताबिक छपाई के बाद पहले चरण में प्रदेश के 1.35 लाख प्राइमरी विद्यालयों में से एक चौथाई को इसे भेजा जाएगा। इन किताबों से प्राइमरी के शिक्षक क्षेत्रीय भाषाओं के शब्द समझेंगे और फिर बच्चों को पढ़ाएंगे।
इन जिलों में प्रचलित हैं यह भाषाएं
अवधी भाषा अयोध्या, बहराइच, गोंडा, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, रायबरेली, उन्नाव, लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई आदि जिलों में बोली जाती है। भोजपुरी का क्षेत्र विशाल है। यह पूर्वांचल के वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़, बलिया के साथ-साथ बिहार में भी बोली जाती है। बुंदेली का प्रचलन बुंदेलखंड क्षेत्र में है। ब्रज भाषा मथुरा और आगरा के आसपास के कई जिलों में बोली जाती है। इन भाषाओं के आधार पर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटा जा सकता है।
अवधी, भोजपुरी, ब्रज और बुंदेली का शब्दकोश पहली बार तैयार किया गया है। इसका काॅपीराइट भी कराएंगे। छपने के बाद सबसे पहले यह कोश प्राइमरी स्कूलों को उपलब्ध कराया जाएगा। फिर, बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। इसे दीक्षा एप पर भी अपलोड किया जाएगा।