मेरठ महानगर में अवैध रूप से यूनिपोल और होर्डिंग्स लगाए जा रहे हैं। जांच के दौरान अभी तक सैड़कों अवैध यूनिपोल और होर्डिंग्स पाए जा चुके हैं। नगर निगम ने ऐसी ही चार विज्ञापन एजेंसियों पर कार्रवाई करते हुए 52.80 लाख रुपये जुर्माना किया है।
मेरठ जनपद में 50 प्रतिशत से ज्यादा जर्जर यूनिपोल और होर्डिंग्स हादसों को दावत दे रहे हैं। होर्डिंग्स ठेकेदारों के रसूख के आगे नगर निगम बेबस दिखाई दे रहा है। निगम की ओर से दी जाने वाली जुर्माने की नोटिस भी बेअसर साबित हो रही है।
मंगलवार को एक और कंपनी प्रोपराइटर ओके मीडिया पर अवैध तरीके से होर्डिंग्स लगाने पर 9 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया गया। इससे पहले रविवार को चार कंपनियों पर 52 लाख 80 रुपये का जुर्माना लगा था। इन कार्रवाई के बाद भी अब तक अवैध तरीके से लगे होर्डिंग्स न तो कंपनी संचालकों ने हटाए और न ही नगर निगम ने कोई कार्रवाई की है।
नगर निगम ने 30 सालों में होर्डिंग्स लगाने के नियम तो कई बार बदले लेकिन होर्डिंग्स लगाने का ठेका निगम के रहमोकरम से चुनिंदा लोगों को हो मिलता रहा। दरअसल शहर में अवैध होर्डिंग्स का जाल बिछा हुआ है।
शिकायत मिलने पर जिम्मेदार अफसर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर देते हैं और अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ज्यादा दबाव पड़ने पर ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जाता है और उनको ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है। ब्लैक लिस्ट होने पर वही ठेकेदार दूसरे नाम से नई कंपनी बना लेते हैं और फिर से होर्डिंग्स का ठेका ले लेते हैं।
मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे, मेरठ-देहरादून हाईवे, हापुड़ रोड, मवाना रोड सहित सभी मार्ग पर अनगिनत यूनिपोल और होर्डिंग्स लगे हुए हैं। चौराहे हों या बाजार, सब जगह होर्डिंग्स से शहर पटा पड़ा है। आंकड़ों की बात करें तो नगर निगम ने 225 यूनिपोल और होर्डिंग्स लगाए है। जिसमें से कई जर्जर हालत में है।
जानकार बताते हैं कि होर्डिंग्स के मामले में नगर निगम और ठेकेदारों का गठजोड़ पुराना है। तीस साल से कुछ चुनिंदा लोग ही निगम अधिकारियों से सांठगांठ कर होर्डिंग्स का ठेका ले रहे हैं। नियम बदलते रहे, लेकिन ठेका लेने वालों के चेहरे नहीं बदले।
इसको लेकर बड़ा विवाद निगम के बोर्ड बैठक और कार्यकारिणी में भी हो चुका है। मुंबई में होर्डिंग्स गिरने से लोगों की मौत, बंगाल में तूफान के बाद अलर्ट जारी हुआ। मेरठ नगर निगम ने अवैध होर्डिंग्स लगाने वालों पर कार्रवाई करनी शुरु की है।