गोरखपुर गुवाहटी श्री माता वैष्णो देवी कटरा स्पेशल ट्रेन के बी-1 कोच को थर्ड एसी की जगह स्लीपर का लगा दिया। मजबूरी में इसमें बैठे यात्रियों ने रास्ते में कई जगह शिकायत की, लेकिन सिस्टम ने इनकी बात नहीं सुनी। बुधवार दोपहर करीब 12 बजे गोरखपुर जंक्शन पर ट्रेन रुकते ही इन यात्रियों ने हंगामा कर दिया।
विरोध में कई यात्री इंजन के आगे रेलवे ट्रैक पर बैठ गए। स्टेशन प्रबंधन और आरपीएफ, जीआरपी के मनाने के बाद यात्री वापस प्लेटफार्म पर आए। करीब चार घंटे बाद स्लीपर कोच की जगह एसी थर्ड का कोच लगाकर ट्रेन को रवाना किया गया।
गुवाहटी श्री माता वैष्णो देवी कटरा स्पेशल ट्रेन मंगलवार को गुवाहाटी से 11 घंटे की देरी से रवाना हुई। इसमें स्लीपर कोच के अलावा एक थर्ड एसी कोच बी-1 लगना था, लेकिन वहां पर एसी कोच उपलब्ध न होने की वजह से स्टेशन प्रबंधन ने स्लीपर कोच पर ही बी-1 का स्टीकर लगा दिया। ट्रेन चलने लगी तो अपना कोच खोज रहे यात्री इसमें ही बैठ गए।रास्ते में गर्मी की वजह से परेशानी हुई तो उन्होंने रेल मदद, रेलवे हेल्पलाइन और सोशल मीडिया के माध्यम से शिकायत की, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला तो हाजीपुर में विरोध किया।
वहां अफसरों ने आगे समस्या समाधान की बात कहकर ट्रेन चला दी। अफसरों की मनमानी और संवेदनहीनता से परेशान करीब 20 ट्रेन यात्रियों ने गोरखपुर स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही कोच से उतरकर रेलवे ट्रैक पर धरना देना शुरू कर दिया।
लोको पायलट की सूचना पर स्टेशन डायरेक्टर जेपी सिंह, स्टेशन मैनेजर संजय शर्मा, आरपीएफ इंस्पेक्टर दशरथ प्रसाद, जीआरपी इंस्पेक्टर विजय प्रताप सिंह, यात्री मित्र कार्यालय के डिप्टी एसएस योगेंद्र नारायण मिश्र,
वाणिज्य विभाग से डीके श्रीवास्तव आदि मौके पर पहुंचे और यात्रियों को समझाने का प्रयास किया।
यात्रियाें की मांग थी कि स्लीपर हटाकर उन्हें एसी कोच में बैठाया जाए। अफसरों के समझाने पर यात्री वापस प्लेटफार्म पर तो आ गए, लेकिन बिना कोच बदले ट्रेन चलाने पर एतराज किया। काफी मान-मनौव्वल के बाद एसी थर्ड कोच लगाने का निर्णय लिया गया। कोच लगने के बाद यात्री खुश हुए और दोपहर बाद साढ़े तीन बजे ट्रेन को रवाना किया गया।
पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज सिंह ने बताया कि स्टेशन पर यात्रियों के विरोध की सूचना पर अफसर मौके पर गए और यथाशीघ्र समस्या का समाधान कराया गया। यात्रियों को चिकित्सा सुविधा के साथ ही ठंडा पानी भी उपलब्ध कराया गया। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने अपनी तरफ से हर संभव मदद का प्रयास किया।