आयुक्त ने मामले में तमाम शिकायतें मिलने के बाद चार सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए हैं। कमेटी ने सभी डीसीपी से रिपोर्ट तलब की है।
पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के आदेशों के बावजूद माइनर वर्क कराना जिला व यूनिट के डीसीपी को महंगा पड़ सकता है। आयुक्त ने मामले में तमाम शिकायतें मिलने के बाद चार सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए हैं। कमेटी ने सभी डीसीपी से रिपोर्ट तलब की है।
सूत्रों के अनुसार, मामले में कई करोड़ रुपये का घोटाला सामने आ सकता है। कुछ महीने पहले दिल्ली पुलिस में कथित 200 करोड़ का घोटाला सामने आया था। ज्यादातर जिला व यूनिट डीसीपी ने माइनर वर्क के नाम पर प्रोफेशनल वर्क करा लिया। ऐसे में पुलिस को 200 करोड़ की चपत लग गई। इसके बाद पुलिस आयुक्त ने आदेश दिया था कि काेई भी डीसीपी माइनर वर्क नहीं कराएगा। मगर पुलिस आयुक्त को जांच में पता लगा कि कई जिलों व यूनिट में माइनर वर्क हुआ है। इससे पुलिस आयुक्त बहुत ज्यादा नाराज हैं।
इसके बाद पुलिस आयुूक्त ने अतिरिक्त पुलिस आयुक्त(साधान प्रशासन) पीके मिश्रा की देखरेख में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त असलम खान, दिल्ली पुलिस हाउसिंग कोरपोरेशन के पुलिस उपायुक्त आलाप पटेल और एग्जीक्यूटीव इंजीनियर समेत चार सदस्य कमेटी बनाई है। इस कमेटी की हाल ही में बैठक हुई है। कमेटी को जांच में पता लगा है कि कई यूनिट व जिलों में मना करने के बावजूद माइनर वर्क हुआ है। इसके बाद कमेटी ने सभी डीसीपी से जल्द से जल्द रिपोर्ट मांगी है।
अभी कई अफसरों की रिपोर्ट आनी बाकी
कमेटी के सदस्य अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पीके मिश्रा ने बताया कि अभी जांच की जा रही है। अभी सभी जिलों ने कमेटी को रिपोर्ट नहीं भेजी है। रिपोर्ट आने के बाद ही पता लगेगा कि किस जिले ने कौन-कौन सा माइनर वर्क करवाया है। कुछ ही जिलों ने रिपोर्ट भेजी है। दूसरी तरफ बाहरी-उत्तरी जिले के पुलिस उपायुक्त रवि कुमार सिंह ने बताया कि उनके जिले में कोई माइनर वर्क नहीं हुआ। उन्होंने कमेटी को रिपोर्ट भेजी दी है।
350 करोड़ रुपये के घोटाले की बात कही जा रही
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि माइनर वर्क व प्रोफेशनल वर्क के नाम पर करीब 350 करोड़ रुपये का घोटाला बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि कमेटी ने जब माइन वर्क की रिपोर्ट मांगी है तो डीसीपी ने बिल को कई लाख कम कर दिया है।
- नई दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त कार्यालय में पांच महीने में 18 करोड़ रुपये का काम हुआ है। इस काम को लेकर पुलिस की वित्तीय सलाहकार ने सवाल उठाए दिए है। वित्तीय सलाहकार ने ट्रैफिक पुलिस को पत्र लिखकर जवाब है कि जब आपका बजट इतना है ही नहीं तो उन्होंने कैसे 18 करोड़ खर्च कर दिए। बताया जा रहा है कि जिस ठेकेदार ने ये काम किया वह इस काम के लिए अधिकृत नहीं था।
कमेटी ने डीसीपी से ये जानकारियां मांगीं
कितना पैसा आपको चाहिए माइनर वर्क के पेमेंट के लिए।
- पेमेंट मांग रहे है तो काम किसके आदेश से करवाया है।
- जब पुलिस आयुक्त मना किया तो कैसे काम करवा लिया।
- माइनर वर्क कितना हुआ है और उसकी जिम्मेदारी है।
- काम करवाने का वर्क आर्डर भी मांगा गया है।
- जो माइनर वर्क करवाया है तो वह किसके कहने पर करवाया गया है।
- माइनर वर्क का वेरीफिकेशन।
- जो काम करवाया है उसकी फोटो।