जितना उत्पादन बढ़ाया जाता है, उसे अधिक पानी की मांग बढ़ रही है। इस कारण कई इलाकों के लोगों को पर्याप्त पेयजल नहीं मिल पा रहा है।
राजधानी में पानी के उत्पादन व मांग में भारी अंतर आ गया है। जितना उत्पादन बढ़ाया जाता है, उसे अधिक पानी की मांग बढ़ रही है। इस कारण कई इलाकों के लोगों को पर्याप्त पेयजल नहीं मिल पा रहा है।
जल बोर्ड के अनुसार, वह अपने सभी स्रोतों से प्रतिदिन करीब 1000 एमजीडी पानी का उत्पादन करता है, जबकि राजधानी में 1290 एमजीडी पानी की मांग रहती है। गर्मी के सभी रिकॉर्ड टूटने से पानी की मांग में भी बढ़ोतरी हो गई है। इस तरह पानी के उत्पादन व मांग में 290 एमजीडी (करीब 30 प्रतिशत) का अंतर आ गया है।
तीन साल पहले दिल्ली में पानी के उत्पादन व मांग में करीब 200 एमसीडी का अंतर था। तीन साल पहले जल बोर्ड 940 एमजीडी पानी का उत्पादन करता था और मांग 1140 एमजीडी (करीब 18 प्रतिशत) थी। खासकर उन इलाकों में पानी की मांग बढ़ी है जिनमें पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसके अलावा जलाशयों से दूरदराज इलाकों में पानी की मांग बढ़ गई है। इस कारण अनेक इलाकों में पेयजल संकट पैदा हो गया है।
नौ संयंत्रों से होता है उत्पादन
जल बोर्ड ने राजधानी में पेयजल आपूर्ति करने के लिए नौ जलशोधक संयंत्र लगा रखे हैं। इनमें से पांच में मुनक नहर से कच्चा पानी मुहैया होता है। दो संयंत्रों में गंग नहर और दो में यमुना से कच्चा पानी मिलता है। इन नौ जलशोधक संयंत्रों में से चार गत ढाई दशक के दौरान लगाए गए हैं। इसके अलावा जल बोर्ड ने रैनीवेल-ट्यूबवेल से भी पानी का उत्पादन बढ़ाया है।
इससे पहले पूरी दिल्ली में पांच जलशोधक संयंत्रों में पानी का उत्पादन कर आपूर्ति की जाती थी। इस दौरान राजधानी के अधिकतर इलाकों में पेयजल को लेकर हाहाकार मचा रहता था। दरअसल पानी के उत्पादन व मांग में भारी अंतर रहता था। चार नए संयंत्र बनने के बाद पानी संकट की समस्या काफी हद तक दूर हो गई थी।