चरणजीत चन्नी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है और वे पंजाब के पूर्व सीएम रह चुके हैं। 2012 में युवा कांग्रेस में रहने के दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से उनकी नजदीकियां बढ़ी थीं।
पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत चन्नी जालंधर लोकसभा सीट से जीत गए हैं। उन्होंने भाजपा के सुशील रिंकू को मात दी। चन्नी को 3,90,053 वोट मिले वहीं भाजपा के सुशील रिंकू को 2,14,060 व आप को 2,08,889 वोट मिले।
चन्नी पहले राउंड से ही बढ़त बनाए हुए थे। हर राउंड के बाद उनके और प्रतिद्वंद्वी के बीच वोटों का फासला बढ़ता चला गया।
पिछले साल उपचुनाव में कांग्रेस ने महज 27.44 फीसदी मत हासिल किए थे और आप के सुशील रिंकू ने 34.05 फीसदी लेकिन महज एक साल बाद ही जालंधर की अवाम ने उलटफेर करते हुए कांग्रेस को 12 फीसदी वोट अधिक दिए हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी चन्नी को इन चुनावों में 39.043 फीसदी मत मिले हैं।
चरणजीत सिंह चन्नी को 390053 वोट मिले हैं, जबकि भाजपा के सुशील कुमार रिंकू को 214060 वोट मिले। इस सीट पर आम आदमी पार्टी के पवन कुमार टीनू को 208889 और शिरोमणि अकाली दल के मोहिंदर सिंह केपी को 67911 वोट मिले हैं। चुनाव जीतने के बाद चन्नी ने कहा कि मैं सुदामा बनकर जालंधर आया था और यहां की जनता ने मुझे कृष्ण बनकर मुझे प्यार दिया।
चन्नी ने कहा कि भाजपा व आप की तरफ से पैसा व नशा चुनावों में बांटा गया। कांग्रेस ने काफी कम पैसे में चुनाव लड़े। जालंधर की चुनाव मुहिम कांग्रेसी वर्करों ने चलाई। मेरी आवाज बनाकर ऑडियो रिलीज की कि आप को वोट डाल दो। भाजपा ने डेरा बल्लां की तरफ से अपील डाल दी कि डेरे ने भाजपा को वोट डालने के लिए कहा है। चन्नी ने कहा कि मैं अब जालंधर में घर लेकर रहूंगा, मेरे बारे में प्रचार किया गया था कि मैं जालंधर छोड़कर चला जाऊंगा लेकिन मैं अब जालंधर में रहूंगा चाहे सत्ता में रहूं या विरोधी दल में। नशे व माफिया को खत्म करने के लिए जंग लड़ने का जो वादा किया था, वह पूरा होगा। कांग्रेस का मेरी जीत में काफी योगदान रहा है। कांग्रेस की सूबा सरकार को लोगों ने नकार दिया है।
दलबदलुओं को जनता ने नकारा, चौधरी व केपी परिवार हाशिये पर..
जालंधर में 1,75 हजार वोट से चन्नी की जीत ने भाजपा व अकाली दल और आप को हाशिये पर धकेल दिया है। खासकर जालंधर में दलबदलने वाले नेताओं को मुंह की खानी पड़ी है। पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी जोकि चन्नी के समधी हैं वह अपनी जमानत नहीं बचा पाए। वह कांग्रेस सरकार में तीन बार मंत्री के अलावा सांसद व पीपीसीसी प्रधान रह चुके हैं। वह अकाली दल में चले गए थे और जालंधर से चुनाव लड़कर महज 67 हजार 911 मत ही ले पाए।
वहीं, सुशील कुमार रिंकू आप के सांसद थे और पिछले साल चुनाव जीतने वाले रिंकू महज एक साल बाद ही 175993 हजार मतों से हार गए। वह पहले कांग्रेस के विधायक थे, फिर आप में जाकर सांसद बने और अब भाजपा में संसदीय टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। वहीं तीसरे पवन टीनू थे, जो अकाली दल के दो बार विधायक रह चुके हैं और अब आप की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे उनको 2 लाख 8889 मत मिले। वहीं, इन चुनावों में केपी व चौधरी परिवार की कांग्रेस में सियासत खत्म हो गई है। पूर्व सांसद चौधरी संतोख सिंह की पत्नी कर्मजीत कौर चौधरी भाजपा में शामिल हो गई थी जबकि उनके बेटे विधायक बिक्रम चौधरी को कांग्रेस ने सस्पेंड कर रखा है। जबकि आजादी के बाद से दोआबा की दलित राजनीति में राज करने वाले केपी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए।