रेडियो सोंडे का उद्देश्य वायुमंडलीय स्थितियों और जलवायु परिवर्तन के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है। केंद्र के संयोजक प्रो. विनय कुमार ने कहा कि यह केंद्र सीयूजे के इसरो केंद्र से द्विमासिक गुब्बारे लॉन्च करेगा।
केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के इसरो केंद्र ने अपने रेडियो सोंडे (वेदर बैलून) के सफल प्रक्षेपण की घोषणा की है। यह लॉन्च नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी), इसरो और केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के बीच एमओयू का एक हिस्सा है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के कुलपति प्रो. संजीव जैन कहा कि रेडियो-सोंडे का सफल प्रक्षेपण अंतरिक्ष विज्ञान में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। यह संपूर्ण रेडियो सोंडे प्रणाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया विजन के तहत इसरो की ओर से पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित की गई है।
यह पहल न केवल हमारी अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करती है बल्कि हमारे संस्थान को वायुमंडलीय अध्ययन में सबसे आगे रखती है। रेडियो-सोंडे, वायुमंडलीय डेटा संग्रह के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की समर्पित टीम ने तैयार और लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य वायुमंडलीय स्थितियों और जलवायु परिवर्तन के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है। केंद्र के संयोजक प्रो. विनय कुमार ने कहा कि यह केंद्र सीयूजे के इसरो केंद्र से द्विमासिक गुब्बारे लॉन्च करेगा।
प्रो. कुमार ने कहा कि यह डेटा का एक अनूठा सेट प्रदान करेगा। अन्य केंद्र और संस्थान केवल सुबह और शाम के समय ही यह अभ्यास कर रहे हैं। गुब्बारा 40 किमी की अधिकतम ऊंचाई तक 5 मीटर प्रति सेकंड की दर से ऊपर की ओर चढ़ेगा।
अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र विश्वविद्यालय सतीश धवन ने कहा कि ऐसी अग्रणी परियोजनाओं के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और संसाधन प्रदान करने में सहायक रही है। रेडियो-सोंडे से एकत्र किए गए डेटा का विश्लेषण किया जाएगा और विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा।
हाइड्रोजन से भरे गुब्बारों का उपयोग करके वैज्ञानिक पृथ्वी की सतह से 12 किलोमीटर ऊपर से वायुमंडलीय दबाव, तापमान, हवा की दिशा और गति को रिकॉर्ड करते हैं। यह डेटा रेडियो सिग्नल के माध्यम से जमीन पर प्रसारित होता है।