हाईकोर्ट ने बुधवार को यमुना बाढ़ के मैदान पर स्थित शिव मंदिर को ध्वस्त करने की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने कहा कि यदि यमुना किनारे और बाढ़ के मैदान को अतिक्रमण और अवैध निर्माण से मुक्त कर दिया जाए तो भगवान अधिक प्रसन्न होंगे।
हाईकोर्ट ने बुधवार को यमुना बाढ़ के मैदान पर स्थित शिव मंदिर को ध्वस्त करने की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने कहा कि यदि यमुना किनारे और बाढ़ के मैदान को अतिक्रमण और अवैध निर्माण से मुक्त कर दिया जाए तो भगवान अधिक प्रसन्न होंगे।
भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। हाईकोर्ट ने बुधवार को यमुना बाढ़ के मैदान पर स्थित शिव मंदिर को ध्वस्त करने की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने कहा कि यदि यमुना किनारे और बाढ़ के मैदान को अतिक्रमण और अवैध निर्माण से मुक्त कर दिया जाए तो भगवान अधिक प्रसन्न होंगे।
पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता के वकील की ओर से दी गई दलील कि भगवान शिव को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए, पूरे विवाद को अलग रंग देने का एक हताश प्रयास है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है, बल्कि हम लोग उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद चाहते हैं।
न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि केवल यह तथ्य कि मंदिर में हर दिन प्रार्थना की जाती है और इस मामले में कुछ विशेष उत्सवों के अवसरों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, इस मंदिर को सार्वजनिक महत्व का स्थान नहीं बनाता है।
न्यायालय ने प्राचीन शिव मंदिर एवं अखाड़ा समिति द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा गीता कॉलोनी में ताज एन्क्लेव के पास स्थित प्राचीन शिव मंदिर (प्राचीन शिव मंदिर) को हटाने के लिए पारित विध्वंस आदेश को चुनौती दी गई थी।